गीता ज्ञान का आध्यात्मिक रहस्य
The Great Geeta
No• 050
💫 परमात्म-अवतरण एवं कर्मयोग 💫
पाँचवां और छठाा अध्याय
जैसे भावनाओं को या तरगों को आप अन्दर छोड़ते हैं , तो वो तरंग फिर वाइब्रेट होकर आपके पास आ जाती है ! ऐसे अगर हम निगेटिव तरगों को छोड़गे तो वही तरंगे हमारे पास वापिस आयेंगी , जो हमारी मानसिक शान्ति को भगं कर देंगी ! इसलिए जितना हो सके उतने शुद्ध
तरंगों को फैलाओ ! एक बहुत ही सुन्दर कहानी है कि किस तरह वो तरंगें हमारे पास वापिस आती हैं !
एक राजा था ! उसका एक मित्र था , जो लकड़ी का व्यापारी था ! दोनों में बहुत अच्छी दोस्ती थी ! एक दिन वो लकड़ी का व्यापारी अपने गोदाम में गया ! सारा स्टाँक देखते-देखते चंदन की लकड़ी के पास आया और देखा इतना सारा चंदन की लकड़ी पड़ी हैं ! उसका बिज़नेस माइंड चलने लगा कि कितने पैसे मेरे इसमें रूके हुए हैं ! अब ये पैसे निकलेंगे कैसे ? इतनी लकड़ी कौन खरीदेगा ? बिना मतलब का इतना चंदन की लकड़ी को क्यों खरीद लिया ? ऐसे विचार चलने लगे ! फिर उसके मन में विचार आया कि अगर कोई मरता है तो ... क्योंकि मनुष्य की स्वाभाविक प्रवृत्ति ये है कि मन में पहले निगेटिव विचार आता है ! उसके मन में विचार आया कि साधारण व्यक्ति मरेगा तो इतनी सारी चंदन की लकड़ी जलाने के लिए लेकर नहीं जायेगा ! कोई बड़ा व्यक्त्ति मरेगा तो उसको जलाने के लिए तो चंदन की ही लकड़ी लगायेंगे !
बड़ा व्यक्त्ति कौन है ? राजा के सिवाय तो कोई और बड़ा व्यक्त्ति है नहीं ! राजा उसका दोस्त था , मित्र था फिर भी लोभ लालच जहाँ आयी वहाँ मित्र को भी नहीं देखते ! फिर उसके मन में विचार आया कि राजा की तो अभी उम्र ही नहीं है मरने की ! तो कैसे वह मरेगा ? अगर कोई आस-पास के प्रदेश वाले चढ़ाई करें , तब तो राजा मर सकता है ! लेकिन फिर विचार आया कि आस-पास के सभी प्रदेश वालों के साथ राजा की अच्छी दोस्ती है ! तो कोई उसके ऊपर चढ़ाई करने वाला भी नहीं है ! विचार आया कि यदि कोई उसको खत्म कर दें , तब तो वो मर सकता है ! लेकिन खत्म कौन करेगा , सभी प्रजा उससे इतनी सन्तुष्ट है , इतनी खुश है कि कोई उसके खत्म क्यों करेगा ? फिर उसके मन में विचार आया कि मैं ही उसको खत्म कर दूं ! तो उसको जलाने के लिए चंदन की लकड़ी यूज़ होंगी ! मैने यदि अगर राजमहल में कहीं उसको मारा तब तो मुझे पकड़ लेंगे और मुझे सजा हो जायेगी ! हाँ , जब मैं राजमहल में राजा के साथ जाता हूँ या कहीं बाहर भी जाता हूँ तो किसी को मेरे ऊपर शक होगा ही नहीं , क्योंकि सभी जानते हैं कि हमारी दोस्ती अच्छी है !
👍 विचार कीजिए , व्यक्ति के विचार एक के बाद एक उसको कहाँ तक पहुंचा देते हैं ! लेकिन राजा को मारने की
जैसे भावनाओं को या तरगों को आप अन्दर छोड़ते हैं , तो वो तरंग फिर वाइब्रेट होकर आपके पास आ जाती है ! ऐसे अगर हम निगेटिव तरगों को छोड़गे तो वही तरंगे हमारे पास वापिस आयेंगी , जो हमारी मानसिक शान्ति को भगं कर देंगी ! इसलिए जितना हो सके उतने शुद्ध
तरंगों को फैलाओ ! एक बहुत ही सुन्दर कहानी है कि किस तरह वो तरंगें हमारे पास वापिस आती हैं !
एक राजा था ! उसका एक मित्र था , जो लकड़ी का व्यापारी था ! दोनों में बहुत अच्छी दोस्ती थी ! एक दिन वो लकड़ी का व्यापारी अपने गोदाम में गया ! सारा स्टाँक देखते-देखते चंदन की लकड़ी के पास आया और देखा इतना सारा चंदन की लकड़ी पड़ी हैं ! उसका बिज़नेस माइंड चलने लगा कि कितने पैसे मेरे इसमें रूके हुए हैं ! अब ये पैसे निकलेंगे कैसे ? इतनी लकड़ी कौन खरीदेगा ? बिना मतलब का इतना चंदन की लकड़ी को क्यों खरीद लिया ? ऐसे विचार चलने लगे ! फिर उसके मन में विचार आया कि अगर कोई मरता है तो ... क्योंकि मनुष्य की स्वाभाविक प्रवृत्ति ये है कि मन में पहले निगेटिव विचार आता है ! उसके मन में विचार आया कि साधारण व्यक्ति मरेगा तो इतनी सारी चंदन की लकड़ी जलाने के लिए लेकर नहीं जायेगा ! कोई बड़ा व्यक्त्ति मरेगा तो उसको जलाने के लिए तो चंदन की ही लकड़ी लगायेंगे !
बड़ा व्यक्त्ति कौन है ? राजा के सिवाय तो कोई और बड़ा व्यक्त्ति है नहीं ! राजा उसका दोस्त था , मित्र था फिर भी लोभ लालच जहाँ आयी वहाँ मित्र को भी नहीं देखते ! फिर उसके मन में विचार आया कि राजा की तो अभी उम्र ही नहीं है मरने की ! तो कैसे वह मरेगा ? अगर कोई आस-पास के प्रदेश वाले चढ़ाई करें , तब तो राजा मर सकता है ! लेकिन फिर विचार आया कि आस-पास के सभी प्रदेश वालों के साथ राजा की अच्छी दोस्ती है ! तो कोई उसके ऊपर चढ़ाई करने वाला भी नहीं है ! विचार आया कि यदि कोई उसको खत्म कर दें , तब तो वो मर सकता है ! लेकिन खत्म कौन करेगा , सभी प्रजा उससे इतनी सन्तुष्ट है , इतनी खुश है कि कोई उसके खत्म क्यों करेगा ? फिर उसके मन में विचार आया कि मैं ही उसको खत्म कर दूं ! तो उसको जलाने के लिए चंदन की लकड़ी यूज़ होंगी ! मैने यदि अगर राजमहल में कहीं उसको मारा तब तो मुझे पकड़ लेंगे और मुझे सजा हो जायेगी ! हाँ , जब मैं राजमहल में राजा के साथ जाता हूँ या कहीं बाहर भी जाता हूँ तो किसी को मेरे ऊपर शक होगा ही नहीं , क्योंकि सभी जानते हैं कि हमारी दोस्ती अच्छी है !
👍 विचार कीजिए , व्यक्ति के विचार एक के बाद एक उसको कहाँ तक पहुंचा देते हैं ! लेकिन राजा को मारने की
हिमम्त उसमें थी नहीं ! जब हिमम्त ही नहीं थी , तो वह क्या करेगा ? विचार चलते रहे कि राजा मरे तो कैसे मरे ! राजा मरे तो कैसे मरे .......ताकि मेरे चंदन की लकड़ी खत्म हो जायें ! ...
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