आज की इस भाग - दौड़ भरी जिंदगी में जरूरी है मन का इलाज । क्योकि मन स्वस्थ होगा तभी तन स्वस्थ होगा और तन और मन दोनों स्वस्थ होंगे तभी जीवन की गाडी सही दिशा में और सही तरह से दौड़ेगी । किन्तु आज का मनुष्य तन की बजाए मन से ज्यादा भाग रहा है ।
सुबह से रात तक ना जाने कितने व्यक्तियों में, वस्तुओं में और सम्बन्धो में अपने मन को व्यस्त रखता है । इन सम्बन्धो को निभाने में ही सारी ऊर्जा लगा देता है किन्तु प्राप्ति कुछ नही हो पाती । यानि सच्चे सुख, शान्ति और आनन्द की प्राप्ति वह नही कर पाता । यानि केवल खर्चा ही खर्चा है ।
उसमे भी सबसे ज्यादा ऊर्जा व्यर्थ संकल्पों में खर्च कर रहा है ।और इसका सीधा सा कारण है कि मनुष्य मन पर नियंत्रण ही नही रख पा रहा । शरीर के अंगों का इलाज करने वाले डॉक्टर तो बहुत मिल जायेंगे किन्तु कही पर भी ऐसा बोर्ड लिखा हुआ दिखाई नही देगा ।
जहां लिखा हो कि यहाँ मन का इलाज किया जाता है । इसलिए प्रश्न उठता है कि आखिर खर्च की गई ऊर्जा की प्राप्ति कैसे हो और मन पर नियंत्रण कैसे रखें । इन सबका स्त्रोत है परम पिता परमात्मा जो स्वयं आ कर सभी जीवात्माओं को निमन्त्रण दे रहें हैं कि अब अज्ञानता की गहरी नींद से जागो और अपना खर्च कम करो ।
अर्थात जगह जगह मन और बुद्धि को व्यर्थ में ना फंसा कर अपना मन मेरे में लगा कर अपने भाग्य का सितारा चमका लो अन्यथा पछताना पड़ेगा । गायन है ना..... अब नही तो कभी नही । तो विचार करो..... कि कहीं भगवान् आ कर चला भी जाये और व्यर्थ में अपने जीवन को गवां कर हमे पश्चाताप के आंसू ना रोने पड़े ।
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