दसवां कदम
(1) जैसे ब्रह्मा बाप सदा एवररेडी अर्थात सर्व शक्तियों से सम्पन्न रहे, ऐसे फॉलो फादर करो. अभी-अभी आर्डर हो कि दृष्टि को एक सेकंड में रूहानी व दिव्य बनाओ तो उसमें देह अभिमान का जरा भी अंश ना हो, एक सेकंड के बजाय दो सेकंड भी ना लगे, तब कहेंगे एवररेडी.
(2) बाप समान एवररेडी रहने के लिए अपने हिसाब-किताब रूपी वृक्ष को लगन की अग्नि में समाप्त कर बीज रूप स्थिति में स्थित रहने का अभ्यास करो. जब चाहो देहभान रूपी वस्त्र को धारण करो और जब चाहो न्यारे हो जाओ.
(3) रूहानी सम्बन्ध और सम्पर्क निभाने में एवररेडी बनो. संस्कार मिटाने व मिलाने में टाइम न लगे. जैसे वो रास करते हो, ऐसे बाप के संस्कार से संस्कार मिलाने की रास करने में होशियार बनो.
(4) एवररेडी अर्थात सर्वशस्त्रधारी. कोई भी शक्ति की कमी व कमजोरी ना हो. सर्वशक्तिवान की शिक्षा से एवररेडी बनो, अपने सर्व लगावों को समेटकर एवररेडी बनो तो विनाश भी रेडी हो जाएगा.
(5) ब्रह्मा बाप बच्चों को सदा अपने समान एवररेडी बन्धनमुक्त देखना चाहते हैं. सम्पूर्ण बनना अर्थात किनारा छोड़ना और एक अविनाशी बाप को सहारा बना लेना. किसी भी व्यक्ति, वैभव या वस्तु को सहारा नहीं बनाओ, इसी को कहा जाता है एवररेडी अर्थात कर्मातीत.
(6) एवररेडी अर्थात सदा अन्तिम समय का आह्वान करते हुए स्वयं को तैयार रखना. अपने को सर्व गुण सम्पन्न बनाना. सम्पन्न स्टेज ऐसी हो सिर्फ एक कदम उठाने में भी देरी ना हो. ऐसे एवररेडी बाप समान बनने के लिए तीन प्राप्तियां सदा अपने साथ रखो:- 1- लाइट, 2- माईट और 3- डिवाइन इनसाइट.
(7) जैसे मिलिट्री वालों का बिस्तरा सदा तैयार रहता है, ऐसे आपका संकल्पों रूपी बिस्तरा सदा तैयार रहना चाहिए, एक सेकंड में अपने व्यर्थ संकल्पों को स्टॉप कर लो, ऐसी कंट्रोलिंग पॉवर हो तब अंत समय में अपनी कमजोरियों को प्राय: लोप कर एवररेडी बन सकेंगे.
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